बंद करो ये भ्रष्टाचार के नारे, तुम खुद भी भ्रष्ट हो

बंद करो ये भ्रष्टाचार के नारे, तुम खुद भी भ्रष्ट हो। अगर अन्ना जी ने आन्दोलन शुरू किया तो सब के सब जाकर शामिल हो गए, करोडों की संख्या में भीड़ जमा करी एक जुट होकर बड़े बड़े गीत गए, भ्रष्टाचार के विरुध नारे लगाये, नेताओ को गलियां दी पर एक  सवाल पूछना चाहूँगा, कभी अपने अन्दर झांक कर देखा ?
जब कभी पोलिस के सिपाही पकड़ते है, ज्यादातर लोग कोशिश करते है कि रिश्वत देकर बच जाएँ तो मैं ये समझता हूँ कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। चलिए पोलिस  का उदाहरण छोड़िये जब भी कोई किसी सरकारी काम के लिए जाता है अगर उसका काम नहीं होता तो वो अपने आप रिश्वत  पेश करता है। 
भ्रष्टाचार किसी एक में नहीं है। ये भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ा लड्डू है जो की आम आदमी द्वारा बनाया गया है और उसे सरकारी कीड़े बड़े आराम से खा रहे है। 
बंद करिए ये नारे। इन नारों से उस लड्डू की मिठास कम नहीं होने वाली। अगर कुछ बदलना है तो पहले खुद को बदलिए। अगर किसी को इस लेख से आपत्ति है तो माफ़ कीजियेगा।
जय हिंद ! जय भारत !

1 comment:

हम आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार करेंगे

 

दुनिया मेरी नज़र से Copyright © 2012 |