नई व्यवस्था नए साल यानी एक जनवरी 2011 से लागू हो गई है। इसके तहत ग्राहकों को अब इंटरनेट या बैंक शाखाओं के जरिए इलेक्ट्रिॉनिक तरीके से धन स्थानांतरण करते समय अपनी खाता संख्या दो बार लिखनी होगी। यह इसलिए ताकि किसी तरह की गलती से बचा जा सके। एहतियात के लिए हालांकि अब भी ग्राहक के नाम आदि का ब्यौरा लिया जाएगा। लेकिन यह सिर्फ किसी जोखिम से बचाव के लिए होगा।
इलेक्ट्रॉनिक भुगतान वैसे तो कंप्यूटरीकृत ऑटोमेटिक प्रणाली से किया जाता है, लेकिन इसमें मानवीय हस्तक्षेप काफी होता है। ग्राहक का नाम तथा शाखा ब्यौरा आदि की जानकारी को मिलाने में काफी समय लग जाता है। देश के सभी बैंक चूंकि कोर बैंकिंग सॉफ्टवेयर [सीबीएस] माहौल में काम कर रहे हैं इसलिए दो ग्राहकों की खाता संख्या समान होने का मतलब ही नहीं होता है। लिहाजा फंड का ट्रांसफर केवल खाता संख्या के आधार पर किया जा सकता है। केंद्रीय बैंक के दिशानिर्देश को ध्यान में रखते हुए बैंकों ने नई प्रणाली अपना ली है। नई व्यवस्था आरटीजीएस, एनईएफटी, एनईसीएस तथा ईसीएस सहित सभी तरह की इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली तथा इंटरनेट बैंकिंग के जरिए धन स्थानांतरण पर लागू होगी। रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि वे अपने पास आने वाले सभी सौदों को केवल ग्राहक की खाता संख्या के आधार पर निपटाएं।
बहुत ही उत्साहजनक समाचार है। जानकारी के लिए शुक्रिया।
ReplyDeleteप्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
ReplyDeleteधन्यवाद ।
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आप अपने ब्लाग की सेटिंग मे(कमेंट ) शब्द पुष्टिकरण ।
ReplyDeleteword veryfication पर नो no पर
टिक लगाकर सेटिंग को सेव कर दें । टिप्प्णी
देने में झन्झट होता है । अगर न समझ पायें
तो rajeevkumar230969@yahoo.com
पर मेल कर देना ।
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